इलेक्शन रेफरेंस
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बंगला देश मुक्ति के बाद दरभंगा में पहला चुनाव
--सुरेंद्र किशोर--
30 जनवरी, 1972 को दरभंगा लोक सभा उप चुनाव के
लिए वोट डाले गए थे।
उसमें विदेश व्यापार मंत्री ललित नारायण मिश्र विजयी हुए थे।
कई मामलों में वह अलग ढंग का चुनाव था।
बंगला देश मुक्ति के बाद वह देश का पहला चुनाव था।
ललित नारायण मिश्र ने मतदाताओं से अपील की थी कि ‘मुझको दिया गया वोट कांग्रेस की नीतियों को दिया गया मत है जिसमें बंगला देश मुक्ति भी शामिल है।’
उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी सोशलिस्ट पार्टी के राम सेवक यादव ने कहा था कि ‘मुझे मिलने वाला मत, बराबरी और खुशहाली के लिए होगा।’
प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने ललित बाबू के समर्थन में दरभंगा में जन सभा की थी।
पूर्व सांसद रामसेवक यादव उत्तर प्रदेश के मूल निवासी थे।
रिजल्ट के बाद जार्ज फर्नांडिस ने कहा था कि ‘दरभंगा उप चुनाव में जितना खर्च हुआ,वह देश के चुनावी इतिहास का एक रिकाॅर्ड है।’
राम सेवक यादव के पक्ष में चुनाव प्रचार के काम में पूर्व मुख्य मंत्री कर्पूरी ठाकुर जी जान से लगे थे।ललित बाबू को यह अच्छा नहीं लगा था कि बाहर से एक ‘खास’ उम्मीदवार लाकर सोशलिस्ट पार्टी ने चुनाव को तनावपूर्ण बना दिया।कांग्रेस इसको लेकर कर्पूरी ठाकुर से विशेष तौर से नाराज थी।
नतीजतन कुछ ही सप्ताह बाद हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने कर्पूरी ठाकुर को पराजित करने की जी तोड़ कोशिश की थी।पर सफल नहीं हो सकी।
कर्पूरी ठाकुर अपने पुराने चुनाव क्षेत्र ताज पुर से जीत कर 1972 में एक बार फिर विधान सभा में पहुंच गए ।
पूर्व मुख्य मंत्री विनोदानंद झा के निधन के कारण दरभंगा सीट खाली हुई थी।
ललित बाबू को 2 लाख 67 हजार और राम सेवक यादव को 1 लाख 76 हजार मत मिले।
पहली बार इसी चुनाव में ऐसे मतपत्रों का इस्तेमाल किया गया जिसके साथ अधकटी जुड़ी हुई थी।उस पर मतदाता दस्तखत करते थे या अंगूठे का निशान देते थे।
@दैनिक भास्कर-पटना-10 अप्रैल 2019@
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बंगला देश मुक्ति के बाद दरभंगा में पहला चुनाव
--सुरेंद्र किशोर--
30 जनवरी, 1972 को दरभंगा लोक सभा उप चुनाव के
लिए वोट डाले गए थे।
उसमें विदेश व्यापार मंत्री ललित नारायण मिश्र विजयी हुए थे।
कई मामलों में वह अलग ढंग का चुनाव था।
बंगला देश मुक्ति के बाद वह देश का पहला चुनाव था।
ललित नारायण मिश्र ने मतदाताओं से अपील की थी कि ‘मुझको दिया गया वोट कांग्रेस की नीतियों को दिया गया मत है जिसमें बंगला देश मुक्ति भी शामिल है।’
उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी सोशलिस्ट पार्टी के राम सेवक यादव ने कहा था कि ‘मुझे मिलने वाला मत, बराबरी और खुशहाली के लिए होगा।’
प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने ललित बाबू के समर्थन में दरभंगा में जन सभा की थी।
पूर्व सांसद रामसेवक यादव उत्तर प्रदेश के मूल निवासी थे।
रिजल्ट के बाद जार्ज फर्नांडिस ने कहा था कि ‘दरभंगा उप चुनाव में जितना खर्च हुआ,वह देश के चुनावी इतिहास का एक रिकाॅर्ड है।’
राम सेवक यादव के पक्ष में चुनाव प्रचार के काम में पूर्व मुख्य मंत्री कर्पूरी ठाकुर जी जान से लगे थे।ललित बाबू को यह अच्छा नहीं लगा था कि बाहर से एक ‘खास’ उम्मीदवार लाकर सोशलिस्ट पार्टी ने चुनाव को तनावपूर्ण बना दिया।कांग्रेस इसको लेकर कर्पूरी ठाकुर से विशेष तौर से नाराज थी।
नतीजतन कुछ ही सप्ताह बाद हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने कर्पूरी ठाकुर को पराजित करने की जी तोड़ कोशिश की थी।पर सफल नहीं हो सकी।
कर्पूरी ठाकुर अपने पुराने चुनाव क्षेत्र ताज पुर से जीत कर 1972 में एक बार फिर विधान सभा में पहुंच गए ।
पूर्व मुख्य मंत्री विनोदानंद झा के निधन के कारण दरभंगा सीट खाली हुई थी।
ललित बाबू को 2 लाख 67 हजार और राम सेवक यादव को 1 लाख 76 हजार मत मिले।
पहली बार इसी चुनाव में ऐसे मतपत्रों का इस्तेमाल किया गया जिसके साथ अधकटी जुड़ी हुई थी।उस पर मतदाता दस्तखत करते थे या अंगूठे का निशान देते थे।
@दैनिक भास्कर-पटना-10 अप्रैल 2019@
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