इलेक्शन रेफरेंस
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ऐसे बदल गया 3 महीने
में मतदाताओं का मूड !
सुरेंद्र किशोर
सन 2009 के लोक सभा चुनाव में
राजग बिहार की 40 सीटों में से 32 सीटें जीत गया था।चुनाव साल के प्रारंभ में हुआ था।
बिहार विधान सभा का चुनाव 2010 में हुआ।
उसमें राजग 243 में से 206 सीटें जीत गया था।
पर, इन दो चुनावों के बीच
मतदाताओं का मन कुछ समय के लिए राजग से उचट गया था।
2009 के सितंबर में जब बिहार विधान सभा की 18 सीटों के लिए उप चुनाव हुए तो पांसा पलट गया था।
18 में से 13 सीटें राजग हार गया।
ऐसा आखिर क्यों हुआ ? तीन ही महीने में मतदाताओं का मूड क्यों पलट गया ?
इसे चुनावी राजनीतिक चमत्कार माना गया।
एक खबर ने लोगों का मन पलट दिया था।
सरकारी सूत्रों के हवाले से जुलाई, 2009 में यह खबर छपी कि बिहार सरकार बटाईदारी कानून लागू करने जा रही है।
फिर क्या था ! रातोंरात नीतीश सरकार के खिलाफ किसानों में गुस्सा फैल गया।
राज्य सरकार सफाई देती रह गई। 5 अगस्त 2009 को सरकारी सूत्रों ने बताया कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। पर सरकारी सफाई काम नहीं आई।
इस बीच एक महत्वपूर्ण बात हुई। राजग के ही कुछ नेताओं ने इस अफवाह को फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई।दरअसल वे नेता अपने परिजन को उप चुनाव में उम्मीदवार बनाना चाहते थे।पर राजग नेतृत्व ने टिकट देने से साफ मना कर दिया था।
दरअसल बटाईदारी कानून एक नाजुक मामला है।किसान समझते हैं कि ऐसा होने से उनकी जमीन उनके हाथों से निकल जाएगी।
1992 में तत्कालीन मुख्य मंत्री लालू प्रसाद ने ऐसी कोशिश की थी।पर तत्कालीन दबंग विधायक पप्पू यादव ने विरोध कर दिया।उन्होंने कहा कि सरकार छोटे किसानों की जमीन बटाईदारों में बांटना चाहती है। पर पहले अट्टालिकाओं में रहने वाले उद्योगपतियों की संपत्ति बंटे।
@23 अप्रैल, 2019 के दैनिक भास्कर,पटना में प्रकाशित@
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ऐसे बदल गया 3 महीने
में मतदाताओं का मूड !
सुरेंद्र किशोर
सन 2009 के लोक सभा चुनाव में
राजग बिहार की 40 सीटों में से 32 सीटें जीत गया था।चुनाव साल के प्रारंभ में हुआ था।
बिहार विधान सभा का चुनाव 2010 में हुआ।
उसमें राजग 243 में से 206 सीटें जीत गया था।
पर, इन दो चुनावों के बीच
मतदाताओं का मन कुछ समय के लिए राजग से उचट गया था।
2009 के सितंबर में जब बिहार विधान सभा की 18 सीटों के लिए उप चुनाव हुए तो पांसा पलट गया था।
18 में से 13 सीटें राजग हार गया।
ऐसा आखिर क्यों हुआ ? तीन ही महीने में मतदाताओं का मूड क्यों पलट गया ?
इसे चुनावी राजनीतिक चमत्कार माना गया।
एक खबर ने लोगों का मन पलट दिया था।
सरकारी सूत्रों के हवाले से जुलाई, 2009 में यह खबर छपी कि बिहार सरकार बटाईदारी कानून लागू करने जा रही है।
फिर क्या था ! रातोंरात नीतीश सरकार के खिलाफ किसानों में गुस्सा फैल गया।
राज्य सरकार सफाई देती रह गई। 5 अगस्त 2009 को सरकारी सूत्रों ने बताया कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। पर सरकारी सफाई काम नहीं आई।
इस बीच एक महत्वपूर्ण बात हुई। राजग के ही कुछ नेताओं ने इस अफवाह को फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई।दरअसल वे नेता अपने परिजन को उप चुनाव में उम्मीदवार बनाना चाहते थे।पर राजग नेतृत्व ने टिकट देने से साफ मना कर दिया था।
दरअसल बटाईदारी कानून एक नाजुक मामला है।किसान समझते हैं कि ऐसा होने से उनकी जमीन उनके हाथों से निकल जाएगी।
1992 में तत्कालीन मुख्य मंत्री लालू प्रसाद ने ऐसी कोशिश की थी।पर तत्कालीन दबंग विधायक पप्पू यादव ने विरोध कर दिया।उन्होंने कहा कि सरकार छोटे किसानों की जमीन बटाईदारों में बांटना चाहती है। पर पहले अट्टालिकाओं में रहने वाले उद्योगपतियों की संपत्ति बंटे।
@23 अप्रैल, 2019 के दैनिक भास्कर,पटना में प्रकाशित@
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