बुधवार, 24 अप्रैल 2019

इलेक्शन रेफरेंस
----------
जब हार से हिल गए थे लालू-सुरेंद्र किशोर  
मंडल आरक्षण विवाद से उत्पन्न सामाजिक तनाव की 
पृष्ठभूमि में 1991 में लोक सभा का चुनाव हुआ था।
बिहार में मुख्य मंत्री लालू प्रसाद के नेतृत्व वाले जनता दल को भारी सफलता मिली थी।उस जीत का श्रेय लालू प्रसाद को जाता है।
पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की अभूतपूर्व गोलबंदी के कारण ऐसा हुआ।
  पर 1994 में वैशाली लोक सभा उप चुनाव में जनता दल की हार से लालू प्रसाद हिल गए थे।कुछ समय के लिए वे सहम गए थे।बाद में सम्भल भी गए।
उन्होंने अपनी सरकार और पार्टी के कामकाज की ओर अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया।
  बिहार विधान सभा के 1995 के चुनाव में लालू प्रसाद के दल को अच्छी सफलता मिली। पर उससे पहले के वैशाली झटके की उम्मीद लालू प्रसाद को नहीं थी।
उसी साल यानी 1994 में ही जार्ज फर्नांडिस और  नीतीश कुमार ने जनता दल छोड़कर समता पार्टी बना ली।
 1991 में जनता दल के उम्मीदवार शिवशरण सिंह विजयी हुए थे।उनके निधन के कारण यह सीट खाली हुई तो बिहार पीपुल्स पार्टी के प्रधान आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद वहां उम्मीदवार बनीं।
उनके खिलाफ पूर्व मुख्य मंत्री सत्यंेद्र नारायण सिंहा की पत्नी किशोरी सिन्हा को लालू प्रसाद ने जनता दल के टिकट पर खड़ा किया।पूर्व सांसद किशोरी सिंहा पहले कांग्रेस में थीं।
कांग्रेस ने वहां उषा सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया।
सवर्ण वर्चस्व वाले उस क्षेत्र में लवली आनंद ने किशोरी सिन्हा को हरा दिया ।कांग्रेस की तो जमानत ही जब्त हो गई।
 इस चुनाव नतीजे पर लालू प्रसाद ने कहा कि ‘मंडल आरक्षण विरोधी और प्रतिक्रियावादी ताकतों ने मिलकर हमारी पार्टी को हरा दिया।’
   उप चुनाव से पहले लालू प्रसाद ने कहा था कि ‘वैशाली में मेरी व सरकार की उपलब्धियों पर जनमत संग्रह होगा।’
पर  उप चुनाव नतीजे ने लालू प्रसाद को संभलने का मौका दे दिया जिसका लाभ उन्हें 1995 के विधान सभा चुनाव में मिला।जनता दल को 1990 में बहुमत नहीं मिला था। 1995 में मिल गया। 
@दैनिक भास्कर,पटना,15 अप्रैल 2019@
  

कोई टिप्पणी नहीं: