बुधवार, 24 अप्रैल 2019


इलेक्शन रेफरेंस
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सत्येंद्र नारायण सिंह ने 
मानी थीं अपनी गलतियां
        सुरेंद्र किशोर 
 बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह ने आत्म कथा में यह स्वीकार किया है कि ‘मैंने अपने ही दल यानी कांग्रेस  के उम्मीदवार को फतुहा विधान सभा  उप चुनाव में पराजित करवा दिया था।
उम्मीदवार देव शरण सिंह को हराने के पक्ष में  विनोदानंद झा और वीरचंद पटेल  भी थे। 
   ‘मेरी यादें मेरी भूलें’ नामक आत्म कथा में सत्येंद्र बाबू  ने लिखा है कि 
‘देव शरण सिंह  1952 में बिहार के स्वास्थ मंत्री बनाये गये ।उस समय वे एम.एल.सी. थे।परिषद में  उनका  कार्यकाल   समाप्त हो रहा था। उधर  फतुहा विधान सभा चुनाव क्षेत्र खाली हो गया था।
  उस समय के.बी.सहाय, मुख्य मंत्री डा.श्रीकृष्ण सिंह के पक्षधर थे। 
 कृष्ण बल्लभ बाबू ने तय किया था कि वे मेरे पिता डा.अनुग्रह नारायण सिंह की मदद लिए बगैर देव शरण सिंह को विजयी बना कर खंडू भाई देसाई की रपट को गलत साबित कर देंगे।
 याद रहे कि  कांग्रेस सांसद खंडू भाई देसाई ने यह रिपोर्ट केंद्र दी थी कि ‘श्रीबाबू और अनुग्रह बाबू के एक साथ रहे बिना बिहार नहीं चलेगा।’ 
   सत्येंद्र बाबू ने लिखा कि ‘कृष्ण बल्लभ बाबू के दम्भ को चूर करने के लिए हम लोगांे ने निर्णय किया कि देवशरण सिंह को हरा देना चाहिए।उसी क्षेत्र से शिव महादेव, पी.एस.पी.के उम्मीदवार थे।हमलोगों ने उन्हें समर्थन देना शुरू कर दिया।ब्रजनंदन यादव और परमात्मा सिंह को माध्यम बनाया गया।जगजीवन राम  ने भी वहां जन सभाएं कीं और भाषण किया।पर उन्होंने भी अपने समर्थकों  को बुलाकर कह दिया कि पटना जिला के अध्यक्ष अवधेश बाबू जैसा कहें,चुनाव में आप सभी वैसा ही करें।अंततः देवशरण बाबू सात या आठ सौ मतों से हार गये।’
  कांग्रेस के कई अन्य नेतागण भी अपने ही दल के प्रतिद्वंद्वी गुट के उम्मीदवारों को भितरघात करके हरवाते रहे हैं।पर आम तौर पर  किसी में ऐसी हिम्मत नहीं होती कि वे अपनी गलती स्वीकार करे।
पर, कुछ अन्य मामले में भी सत्येंद्र नारायण सिंह ने अपनी गलती स्वीकारी है। 
@--दैनिक भास्कर, पटना,11 अप्रैल 2019@
@ध्यान रहे कि आत्म कथा का नाम ही है-मेरी यादें,मेरी भूलें। अपनी भूलें गिनाने वाली ऐसी  अन्य आत्म कथाएं  हांे ,तो जरूर बताइएगा।मैं उन्हें  हासिल करने की कोशिश करूंंगा।
वैसे ब्रटंे्रड रसेल की जैसी  आत्म कथा तो दुर्लभ है।@ 

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