शनिवार, 20 अप्रैल 2019

2019 का चुनावी दृश्य
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एक दल दूसरे दल से -- ‘तुम चोर !’
दूसरा दल- ‘तुम तो डबल  चोर !!’
एक दल- ‘तुम अपराधियों के संरक्षक।’ 
दूसरा दल- ‘तुम्हारे साथ भी तो अपराधी !’
एक दल- ‘तुम सांप्रदायिक !’ 
दूसरा दल -‘तुम घनघोर सांप्रदायिक !’
एक दल- ‘तुम राजद्रोही !
दूसरा दल -‘तुम तो देशद्रोही !
इस संवाद को और भी लंबा कर सकते हैं---
----ऐसा  संवाद इस देश में दशकों से चल रहा है।
आगे कितने दिनों तक चलता रहेगा ? !
कोई कठोरता से रोकने वाला है नहीं हो तो चलता ही रहेगा।
अधिक दिन नहीं लगेंगे जब अधिकतर दल चोरों , ,माफियाओं, बलात्कारियों ,हत्यारों, देशद्रोहियों, सांप्रदायिक तत्वों से लबालब भर जाएंगे ।
  ये तत्व अब भी मौजूद हैं । पर लबालब नहीं भरे हैं।
जिस दिन लबालब भर जाएंगे तो उसके बाद एक न एक दिन कोई तानाशाह आएगा और इस लोकतंत्र को समाप्त कर देगा।
  अधिकतर जनता उस तानाशाह की पीठ भी ठोगेगी।
क्या ऐसी कल्पना निराधार है ?
 इस पोस्ट पर कुछ लोग कहेंगे कि आप ही तानाशाह बुला रहे हैं।
मैं कहता हूं कि मैं कौन होता हूं बुलाने वाला।
 जाने-अनजाने बुला तो वे रहे हंै जो राजनीति के बीच के चोरों,डकैतों,हत्यारों,सांप्रदायिक तत्वों,देशद्रोहियों माफियाओं का किसी न किसी बहाने समर्थन कर रहे हैं।
@20 अप्रैल 2019@

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