सोमवार, 29 अप्रैल 2019

 पाॅकेटमारों के नाम अखबारों में,पर लोन डिफाल्टरों के नाम छिपाए रखने के लिए  आर.बी.आई. लगातार प्रयासरत !
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कोई सौ रुपए की भी पाॅकेटमारी करता है तो उसका नाम अखबारों में छप जाता है।
पर, इस देश में बैंकों के अरबों रुपए जो हजम कर जाता है तौभी रिजर्व बैंक कहता है कि हम उसका नाम तक जाहिर नहीं करेंगे।
ये अरबों रुपए जनता से मिले टैक्स के पैसे ही तो हैं !
तुम्हारी पुश्तैनी माल तो नहीं !
 सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक को आखिरी बार चेतावनी दी है कि डिफाल्टरों की लिस्ट जारी करो ।
  याद रहे कि यह देश 9 लाख 50 हजार करोड़ रुपए के बैंकिंग एन.पी.ए से जूझ रहा है।
चार साल पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने आर.बी.आई.को उन बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का निदेश दिया था जो गलत तरीके से कारोबार करते हैं।
   कल्पना कीजिए कि यदि इस देश में सुप्रीम कोर्ट नहीं होता तो इस देश का क्या होता !
उसी सुप्रीम कोर्ट के पीछे इन दिनों कुछ लोग पड़ गए हैं।
अरे भई, कमियां हर जगह हैं,पर विपरीत परिस्थितियों में जो व्यक्ति या संस्थान देशहित में बेहतर काम कर रहे हैं,उन्हें तो तंग -तबाह न करो ! अन्यथा यह देश बचेगा कैसे ?
इसे बर्बाद करने के लिए बाहर -भीतर की शक्तियां जी -जान से लगी हुई हैं।

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