शनिवार, 6 अप्रैल 2019

 शत्रुघ्न सिन्हा पर भारी पड़ गया याकूब 
मेमन की दया याचिका पर दस्तखत करना।
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31 जुलाई, 2015 को वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि 
याकूब मेमन की दया याचिका पर सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का 
दस्तखत करना उन पर भारी पड़ गया है।
  इस मुद्दे पर भाजपा की शर्मींदगी की चर्चा करते हुए जेटली ने कहा  कि यह बहुत दुखद है कि सिन्हा पार्टी के रुख के विपरीत गए।
 यह पूछे जाने पर कि सिन्हा ने याचिका पर हस्ताक्षर करके पार्टी के लिए शर्मींदगी पैदा की है,जेटली ने कहा कि निश्चित तौर पर यह हुआ है।
इसके साथ ही, जेटली ने यह भी कहा कि यह सवाल उस व्यक्ति से पूछा जाना चाहिए जिसने दया याचिका पर हस्ताक्षर किया है।यह पार्टी का रुख नहीं है।मेरा मानना है कि यह बहुत दुखद है कि भाजपा का एक सदस्य ऐसी याचिका पर हस्ताक्षर करता है।
 भाजपा की विचारधारा 1993 के मुबई विस्फोटों और 26 नवंबर 2008 की आतंकी घटना मंे शामिल लोगों के प्रति नरमी बरते जाने के खिलाफ है।
---दैनिक आज-1 अगस्त 2015 ।
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2015 के जेटली के बयान के बाद ही यह स्पष्ट हो गया था कि भाजपा ‘बिहारी बाबू’ को अगले चुनाव में टिकट नहीं देगी।
उसके बाद वे भाजपा का सांसद  रहते हुए पार्टी के खिलाफ लगातार बोलते रहे और भाजपा विरोधी दलों के नेताओं से मिलते रहे।
अंततः उन्होंने आज कांग्रेस ज्वाइन कर ली।
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 अब जरा याकूब मेमन के बारे में दो शब्द-
12 मार्च, 1993 को मुम्बई में एक साथ अनेक स्थानों पर भीषण बम विस्फोट किए गए।
257 निर्दोष लोग मरे और 713 लोग घायल हुए।बेशुमार आर्थिक क्षति हुई।
इस कांड के प्रमुख दोषियों में याकूब मेमन भी था।उसे अदालत के आदेश से 2015 में फांसी दे दी गई।
पर उससे पहले उसकी फांसी को रोकने के लिए देश के जाने माने लोगांे ने 26 जुलाई 2015 को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को याचिका दी।
उस याचिका पर अन्य लोगों के अलावा जस्टिस पी.सी. जैन 
मणिशंकर अय्यर,शत्रुघ्न सिन्हा,राम जेठमलानी,माजीद मेमन,सीताराम येचुरी के भी दस्तखत थे।


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