नरेंद्र मोदी सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में यह शर्मनाक
दलील दी थी कि ‘वोटर नहीं जानना चाहता कि पार्टी कहां से चंदा लाई।’
पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल 30 मई तक बताएं कि किसने उन्हें कितना चंदा दिया।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय सराहनीय है।
दरअसल निष्पक्ष जनता इस बात से निराश है कि राजनीतिक दलों ने चुनाव व राजनीति का खर्च बेशुमार बढ़ा लिया है।
इस गरीब देश के अनेक नेता चार्टर्ड विमान से चलते हैं।
जबकि इस देश में करीब 20 करोड़ गरीब लोग रोज खाली पेट सोने को अभिशप्त हैं।
अपने वेतन-भत्ते मनमाने ढंग से बढ़ा लेने के मामले की तरह ही चुनावी चंदे के मामले में भी सारे दल बेशर्म हो चुके हैं।
पर सबसे अधिक जिम्मेवारी सत्ता दल की है।कम्युनिस्ट सहित कोई दल पूरे चंदे का हिसाब नहीं देना चाहता है।
दलील दी थी कि ‘वोटर नहीं जानना चाहता कि पार्टी कहां से चंदा लाई।’
पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल 30 मई तक बताएं कि किसने उन्हें कितना चंदा दिया।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय सराहनीय है।
दरअसल निष्पक्ष जनता इस बात से निराश है कि राजनीतिक दलों ने चुनाव व राजनीति का खर्च बेशुमार बढ़ा लिया है।
इस गरीब देश के अनेक नेता चार्टर्ड विमान से चलते हैं।
जबकि इस देश में करीब 20 करोड़ गरीब लोग रोज खाली पेट सोने को अभिशप्त हैं।
अपने वेतन-भत्ते मनमाने ढंग से बढ़ा लेने के मामले की तरह ही चुनावी चंदे के मामले में भी सारे दल बेशर्म हो चुके हैं।
पर सबसे अधिक जिम्मेवारी सत्ता दल की है।कम्युनिस्ट सहित कोई दल पूरे चंदे का हिसाब नहीं देना चाहता है।
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