शनिवार, 13 अप्रैल 2019

जगजीवन बाबू की समधिन नहीं बचा सकी थीं जमानत


जगजीवन राम की समधिन सुमित्रा देवी 1977 के लोकसभा चुनाव में बलिया से निर्दलीय चुनाव लड़ रही थीं। पर जीतने की कौन कहे, उनकी जमानत तक नहीं बच सकी।

हालांकि जगजीवन बाबू ने बेगूसराय जाकर उनके लिए वोट मांगा था। जगजीवन राम को लोग आदर से बाबू जी कहते थे। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद ही उन्होंने कांग्रेस और सरकार छोड़ी थी। उससे पहले इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल के वे प्रमुख सदस्य थे।

कुछ हलकों में तब यह माना जा रहा था कि उनके कांग्रेस छोड़ने के बाद ही जनता पार्टी की चुनावी हवा बनी थी। पर बलिया के चुनाव नतीजे ने इस बात को गलत साबित कर दिया।

पहले तो बाबू जी ने बिहार सरकार की पहली महिला मंत्री रह चुकी सुमित्रा देवी को लोकसभा का टिकट दिलाने का बहुत प्रयास किया। एक समय ऐसा आया जब यह लगा कि उन्हें बिहार के बलिया से टिकट मिल ही गया।

पर जनता पार्टी का टिकट अंततः रामजीवन सिंह को मिला। सुमित्रा देवी लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार की सास थीं। इमरजेंसी की पृष्ठभूमि में हो रहे चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार के लिए जगजीवन बाबू बेगूसराय गए थे। सभा में उन्होंने कह दिया कि आप लोग बलिया में सुमित्रा देवी का समर्थन करें।

इसपर सभा में हंगामा हो गया था। बलिया में सुमित्रा देवी को मात्र 31 हजार मत मिले। यानी उनकी जमानत जब्त हो गई। रामजीवन सिंह एक लाख 46 हजार मत पाकर जीते। दूसरे स्थान पर सी.पी.आई. के उम्मीदवार रहे। बाद में सुमित्रा देवी जनता पार्टी के टिकट पर विधायक चुनी गईं और कर्पूरी ठाकुर सरकार में मंत्री बनीं।

(दैनिक भास्कर,पटना -8 अप्रैल 2019)

  

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