शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

बकलोल उत्तराधिकारी !
कभी सुना था कि दुनिया के एक बहुत बड़े आद्योगिक घराने के मालिक के बकलोल उत्तराधिकारी ने अपने अर्ध पागलपन में  उलूल -जलूल हरकतों, बातों और क्रिया कलापों से अपने पारिवारिक उद्योग -धंधों को समाप्त प्रायः कर दिया था।
   खैर, वह तो निजी औद्योगिक घराना था।पूर्वजों के सामने यह मजबूरी थी ।वे  एकमात्र संतान को उत्तराधिकार नहीं सौंपते तो किसे सौंपते ?
पर, किसी राजनीतिक पार्टी के लिए तो ऐसी कोई मजबूरी नहीं हो सकती ! यदि इस देश में कभी किसी वंशवादी राजनीतिक पार्टी के सामने ऐसी कोई समस्या आ जाए तो वह अपने  पूर्ण विनाश से पहले ही चेत जाए ! उसका चेत जाना लोकतंत्र के हक में  सही कदम होगा।
मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वह समस्या इस देश में आ ही चुकी है।
पर,यदि कोई पार्टी,अपने  नेतृत्व के लिए सिर्फ एक ही वंश पर निर्भर हो तो देर -सवेर ऐसी समस्या आ ही सकती है।
सदा तो ऐसा नहीं होगा कि उस वंश की हर संतान अर्ध -पागलपन और बकलोलपन की समस्या से मुक्त ही हो !

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