सोमवार, 8 अप्रैल 2019

48 साल पहले भी बना था एक महा गठबंधन !

इलेक्शन रेफरेंस
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शासक दल कांग्रेस के खिलाफ 1967 में कुछ गैर कांग्रेसी दलों का कुछ राज्यों में संयुक्त मोर्चा बना तो 1971 में प्रतिपक्ष ने बनाया महा गठबंधन।
1967 में तो गैर कांग्रेसी दलों को राज्यों में आंशिक  सफलता मिली भी ,पर 1971 के  चुनाव में ‘इंदिरा गांधी की आंधी’ ने महा गठबंधन को धूल चटा दी।
  2019 के  चुनाव में  प्रतिपक्ष ने एक ढीला ढाला महा गठबंधन बनाया है। देखना है कि इस बार के चुनाव में ऊंट किस करवट बैठता है !
1969 में कांग्रेस में हुए महा विभाजन के बाद प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को लोक सभा में बहुमत नहीं रह गया था।
सी.पी.आई.और डी.एम.के. बाहरी समर्थन से वह सरकार चल रही थी।
पर इनके दबाव से जब इंदिरा गांधी असहज महसूस करने लगीं तो उन्होंने लोक सभा भंग करने की सिफारिश करके मध्यावधि चुनाव करवा दी।
   ‘गरीबी हटाओ’ के कारगर नारे के बीच 1971 में चुनाव हुए।
भारतीय जनसंघ,स्वतंत्र पार्टी, संगठन कांग्रेस और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने मिल कर  गठबंधन बनाया जिसे महा गठबंधन कहा गया।
इंदिरा कांग्रेस को 352 सीटें आईं।
महागठबंधन में शामिल दलों को कुल मिला कर 49 सीटें ही मिल पाईं।
बिहार में कुल 53 में से सिर्फ सात सीटें महा गठबंधन को मिलीं।
बिहार के तत्कालीन मुख्य मंत्री और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के नेता कर्पूरी ठाकुर ने उस हार पर कहा था कि ‘ चूंकि संगठन कांग्रेस और स्वतंत्र पार्टी को पिछड़े और दलित लोग बड़े लोगों की पार्टी मानते हैं,इसलिए हम उनके परंपरागत समर्थन से इस बार वंचित रहे। ’ 
   @7 अप्रैल 2019 के  दैनिक भास्कर, पटना में प्रकाशित@


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