इलेक्शन रेफरेंस
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जाति पर वोट मांगने से
जीत कर भी हारे थे मंडल
--सुरेंद्र किशोर--
1962 में सहरसा लोक सभा क्षेत्र में भूपेंद्र नारायण मंडल ने
ललित नारायण मिश्र को हराया था।
पर उस क्षेत्र के मतदाता ने विजयी उम्मीदवार पर यह आरोप लगाया कि मंडल ने जातीय आधार पर वोट मांगे।
नतीजतन अदालत ने भूपेंद्र नारायण मंडल का चुनाव रद्द कर दिया।
याचिकाकत्र्ता ने कोर्ट में आरोप साबित कर दिया था।
बिहार सहित देश भर में कई नेता व उम्मीदवार जाति व धर्म के नाम पर मतदाताओं को प्रभावित करने की इन दिनों कोशिश कर रहे हैं।
उन लोगों को भूपेंद्र नारायण मंडल से संबंधित जजमेंट को पढ़ लेना चाहिए।
बी.एन.मंडल बनाम एक नारायण लालदास केस में पटना हाईकोर्ट ने 1964 में निर्णय दिया था।
आरोप था कि मंडल व उनके चुनाव एजेंट ने पूरे क्षेत्र में यादव मतदाताओं से यह अपील की कि आप लोगों
को ब्राह्मण उम्मीदवार के बदले अपनी जाति के उम्मीदवार को ही वोट देना चाहिए।
ऐसी अपील करते हुए पर्चे भी बंटवाए गए थे।
उस पर्चे को भी कोर्ट में पेश किया गया।
मंडल के वकील ने अदालत में कहा कि हमें
चुनाव नियमों की जानकारी नहीं थी।इसलिए ऐसा हो गया।
इस पर अदालत ने कहा कि बी.एन.मंडल 1952 और 1957 में चुनाव लड़ चुके हैं।1957 में वे विधान सभा का चुनाव जीत भी चुके हैं।
उन्होंने खुद वकालत पास की है,भले वे अब प्रैक्टिस नहीं करते।
इसलिए इस तर्क में दम नहीं है कि उन्हें चुनाव नियमों की जानकारी नहीं थी।
अदालत ने जन प्रतिनिधित्व की धारा -100 @1@ के तहत मंडल का चुनाव रद्द किया।
याद रहे कि मंडल लोहियावादी समाजवादी पार्टी के बिहार में सबसे बड़े नेता थे।बाद में वे राज्य सभा के सदस्य बने।
ललित नारायण मिश्र नेहरू मंत्रिमंडल में संसदीय सचिव थे।बाद में कैबिनेट मंत्री बने।
@-दैनिक भास्कर, पटना-18 अप्रैल 2019@
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जाति पर वोट मांगने से
जीत कर भी हारे थे मंडल
--सुरेंद्र किशोर--
1962 में सहरसा लोक सभा क्षेत्र में भूपेंद्र नारायण मंडल ने
ललित नारायण मिश्र को हराया था।
पर उस क्षेत्र के मतदाता ने विजयी उम्मीदवार पर यह आरोप लगाया कि मंडल ने जातीय आधार पर वोट मांगे।
नतीजतन अदालत ने भूपेंद्र नारायण मंडल का चुनाव रद्द कर दिया।
याचिकाकत्र्ता ने कोर्ट में आरोप साबित कर दिया था।
बिहार सहित देश भर में कई नेता व उम्मीदवार जाति व धर्म के नाम पर मतदाताओं को प्रभावित करने की इन दिनों कोशिश कर रहे हैं।
उन लोगों को भूपेंद्र नारायण मंडल से संबंधित जजमेंट को पढ़ लेना चाहिए।
बी.एन.मंडल बनाम एक नारायण लालदास केस में पटना हाईकोर्ट ने 1964 में निर्णय दिया था।
आरोप था कि मंडल व उनके चुनाव एजेंट ने पूरे क्षेत्र में यादव मतदाताओं से यह अपील की कि आप लोगों
को ब्राह्मण उम्मीदवार के बदले अपनी जाति के उम्मीदवार को ही वोट देना चाहिए।
ऐसी अपील करते हुए पर्चे भी बंटवाए गए थे।
उस पर्चे को भी कोर्ट में पेश किया गया।
मंडल के वकील ने अदालत में कहा कि हमें
चुनाव नियमों की जानकारी नहीं थी।इसलिए ऐसा हो गया।
इस पर अदालत ने कहा कि बी.एन.मंडल 1952 और 1957 में चुनाव लड़ चुके हैं।1957 में वे विधान सभा का चुनाव जीत भी चुके हैं।
उन्होंने खुद वकालत पास की है,भले वे अब प्रैक्टिस नहीं करते।
इसलिए इस तर्क में दम नहीं है कि उन्हें चुनाव नियमों की जानकारी नहीं थी।
अदालत ने जन प्रतिनिधित्व की धारा -100 @1@ के तहत मंडल का चुनाव रद्द किया।
याद रहे कि मंडल लोहियावादी समाजवादी पार्टी के बिहार में सबसे बड़े नेता थे।बाद में वे राज्य सभा के सदस्य बने।
ललित नारायण मिश्र नेहरू मंत्रिमंडल में संसदीय सचिव थे।बाद में कैबिनेट मंत्री बने।
@-दैनिक भास्कर, पटना-18 अप्रैल 2019@
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