रविवार, 30 दिसंबर 2018

पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों के नतीजों को देख कर आखिर कांग्रेस से गैर भाजपा-गैर कांग्रेस दल प्रभावित क्यों नहीं हैं ?हां,शरद पवार जरूर प्रभावित हैं।महाराष्ट्र में उन्हें कांग्रेस से मदद की जरूरत पड़ेगी।
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कारण
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1.-मिजोरम --इस चुनाव में कांग्रेस सत्ताच्युत हो गयी।
2.-तेलांगना-कांग्रेस बुरी तरह हारी।
3.-छत्तीस गढ़ की जीत कांग्रेस की जीत मानी जा सकती है। हांलाकि कुछ लोग चर्च व नक्सलियों का अधिक योगदान  मानते हैं।
4-राजस्थान-‘रानी की खैर नहीं,मोदी से बैर नहीं’ नारे के साथ वोट पड़े।फिर भी कांग्रेस व भाजपा के बीच मतों का अंतर आधा प्रतिशत ही  रहा।
5.-मध्य प्रदेश में एससी-एसटी एक्ट के कारण अधिकतर सवर्णों ने भाजपा को छोड़ दिया था।
फिर भी कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा को कुल मिलाकर अधिक मत मिले थे।उस एक्ट को लेकर अब कमल नाथ सरकार क्या कर सकती है ताकि सवर्ण खुश हो जाएं ?
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यानी कांग्रेस की कोई हवा नहीं बनी।
ऐसे दल को नेता मान कर क्षेत्रीय दल क्यों जुआ खेलेंगे ?
क्षेत्रीय दलों के प्रभाव वाले कितने राज्यों में कांग्रेस उन्हें मदद करने की स्थिति में है ?
सबसे बड़ी बात। प्रधान मंत्री बनने का अवसर है तो किस  क्षेत्रीय दल का कौन नेता राहुल गांधी से खुद को अधिक होशियार व अनुभवी नहीं समझ रहा है ?


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