नीलू दामले मराठी के बड़े पत्रकार हैं।वैसे वे दिनमान और रविवार जैसी लोकप्रिय हिन्दी पत्रिकाओं में भी लिखते रहे ।
समाजवादी पृष्ठभूमि के दामले जेपी आंदोलन के दिनों बिहार आए थे।महीनों यहां रहे।मराठी प्रकाशनों के लिए आंदोलन पर उन्होंने लगातार लिखा।उन्हीं दिनों उनसे मेरा परिचय हुआ था।
हम तब खूब साथ-साथ घूमे।वे मुझे बहुत ही सहज और सहृदय लगे।
उनके सौजन्य से मैंने भी काफी दिनों तक महाराष्ट्र के कुछ मराठी प्रकाशनों के लिए बिहार से काम किया।संघर्ष के दिनों में उसके पारिश्रमिक मेरे बड़े काम आए।
एक मराठी अखबार ‘मराठवाडा’@औरंगाबाद@ तो पूरा इमरजेंसी मुझे मेरे बैंक खाते में पारिश्रमिक भेजता रहा जबकि मैं ‘डीप अंडरग्राउंड’ था।
इमरजेंसी हटने के बाद वे पैसे मेरे बड़े काम के साबित हुए थे।
खैर, गत माह के अंत में नीलू दामले बिहार आए।मेरे साथ करीब 10 दिन रहे।मुजफ्फर पुर भी गए।
मैंने पाया कि उन्होंने इस बीच देश-विदेश की काफी यात्राएं कीं और अपना ज्ञान भी खूब बढ़ाया।वे अनेक देशों का दौरा कर चुके हैं।आधुनिक तकनीकी के इस्तेमाल के भी अभ्यस्त हैं।
अंग्रेजी की दुनिया में जो भी अच्छी किताबें आती हैं,उन्हें नीलू पढ़ते हैं और उस पर मराठी अखबारों में गंभीर समीक्षा लिखते हैं।
इस तरह मराठी अखबारों के पाठक अपडेट रहते हैं।
फिलहाल नीलू दामले जार्ज फर्नांडिस पर किताब लिखने के लिए बिहार आए थे।
यहां से उन्हें जार्ज के बारे में काफी सूचनाएं व सामग्री मिलीं।
संतुष्ट थे।
एक प्रामाणिक पत्रकार-लेखक के हाथ वह सामग्री पड़ी है तो उससे जार्ज पर अच्छी किताब बनेगी ही ,ऐसी मुझे उम्मीद है।वे मूलतः मराठी में लिखेंगे।पर मैंने नीलू जी से आग्रह किया है कि आप बाद में उसका हिन्दी और अंग्रेजी में अनुवाद करवाएं।
अंग्रेजी नहीं तो कम से कम हिन्दी जरूर।
क्योंकि जार्ज का राजनीतिक कार्यक्षेत्र मुम्बई के बाद मुख्यतः बिहार ही रहा है।
समाजवादी पृष्ठभूमि के दामले जेपी आंदोलन के दिनों बिहार आए थे।महीनों यहां रहे।मराठी प्रकाशनों के लिए आंदोलन पर उन्होंने लगातार लिखा।उन्हीं दिनों उनसे मेरा परिचय हुआ था।
हम तब खूब साथ-साथ घूमे।वे मुझे बहुत ही सहज और सहृदय लगे।
उनके सौजन्य से मैंने भी काफी दिनों तक महाराष्ट्र के कुछ मराठी प्रकाशनों के लिए बिहार से काम किया।संघर्ष के दिनों में उसके पारिश्रमिक मेरे बड़े काम आए।
एक मराठी अखबार ‘मराठवाडा’@औरंगाबाद@ तो पूरा इमरजेंसी मुझे मेरे बैंक खाते में पारिश्रमिक भेजता रहा जबकि मैं ‘डीप अंडरग्राउंड’ था।
इमरजेंसी हटने के बाद वे पैसे मेरे बड़े काम के साबित हुए थे।
खैर, गत माह के अंत में नीलू दामले बिहार आए।मेरे साथ करीब 10 दिन रहे।मुजफ्फर पुर भी गए।
मैंने पाया कि उन्होंने इस बीच देश-विदेश की काफी यात्राएं कीं और अपना ज्ञान भी खूब बढ़ाया।वे अनेक देशों का दौरा कर चुके हैं।आधुनिक तकनीकी के इस्तेमाल के भी अभ्यस्त हैं।
अंग्रेजी की दुनिया में जो भी अच्छी किताबें आती हैं,उन्हें नीलू पढ़ते हैं और उस पर मराठी अखबारों में गंभीर समीक्षा लिखते हैं।
इस तरह मराठी अखबारों के पाठक अपडेट रहते हैं।
फिलहाल नीलू दामले जार्ज फर्नांडिस पर किताब लिखने के लिए बिहार आए थे।
यहां से उन्हें जार्ज के बारे में काफी सूचनाएं व सामग्री मिलीं।
संतुष्ट थे।
एक प्रामाणिक पत्रकार-लेखक के हाथ वह सामग्री पड़ी है तो उससे जार्ज पर अच्छी किताब बनेगी ही ,ऐसी मुझे उम्मीद है।वे मूलतः मराठी में लिखेंगे।पर मैंने नीलू जी से आग्रह किया है कि आप बाद में उसका हिन्दी और अंग्रेजी में अनुवाद करवाएं।
अंग्रेजी नहीं तो कम से कम हिन्दी जरूर।
क्योंकि जार्ज का राजनीतिक कार्यक्षेत्र मुम्बई के बाद मुख्यतः बिहार ही रहा है।
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