इंदिरा गांधी ने बाहर से समर्थन देकर 1979 में
चरण सिंह की सरकार बनवाई थी।
बाद मंे चरण सिंह को यह संदेश भिजवाया कि संजय गांधी पर मोरारजी सरकार ने जो मुकदमे कर रखे हैं,उन्हें आप वापस लीजिए।अन्यथा, हम आपको समर्थन जारी नहीं रखेंगे।
चरण सिंह ने मुकदमे खत्म करने से इनकार कर दिया।नतीजतन चरण सिंह की सरकार गिर गई।
इतना ही नहीं, समय से पहले लोक सभा का चुनाव करवाना पड़ा।
@---साप्ताहिक ‘रविवार’ः26 अगस्त 1979@
राजीव गांधी ने बाहर से समर्थन देकर चंद्र शेखर की सरकार बनवाई।
पर जब चंद्र शेखर ने बोफर्स तोप सौदा घोटाले से संबंधित मुकदमे को रफा -दफा करने से इनकार कर दिया तो राजीव गांधी ने चंद्र शेखर की सरकार गिरा दी।
नतीजतन समय से पहले लोक सभा को चुनाव करवाना पड़ा।
--@इंडिया टूडे -हिन्दी-28 फरवरी 1991 @
इन दोनोें अवसरों पर कांग्रेस ने कहा था कि गैर कांग्रेसी सरकारों ने राजनीतिक बदले की भावना से केस दायर किए गए थे।
इन दिनों सोनिया-राहुल-राॅबर्ट वाड्रा सहित अनेक कांग्रेसियों पर केस चल रहे हैं।इन मामलों में कांग्रेस एक बार फिर कह रही है कि राजनीतिक बदले की भावना में आकर केस किए गए हैं।
मान लीजिए कि 2019 के लोक सभा चुनाव के बाद गैर -राजग दलों की सरकार बन जाए।
फेडरल फं्रट के नेताओं के मौजूदा रुख को देख कर तो लगता है कि वे किसी कांग्रेसी को प्रधान मंत्री नहीं बनने देंगे।
फिर क्या होगा ?
‘बदले की भावना से शुरू किए गए मुकदमों’ की वापसी का जोरदार प्रयास होगा।
फिर क्या होगा ? क्या 1979 और 1991 दुहराया जाएगा ?
पता नहीं !
चरण सिंह की सरकार बनवाई थी।
बाद मंे चरण सिंह को यह संदेश भिजवाया कि संजय गांधी पर मोरारजी सरकार ने जो मुकदमे कर रखे हैं,उन्हें आप वापस लीजिए।अन्यथा, हम आपको समर्थन जारी नहीं रखेंगे।
चरण सिंह ने मुकदमे खत्म करने से इनकार कर दिया।नतीजतन चरण सिंह की सरकार गिर गई।
इतना ही नहीं, समय से पहले लोक सभा का चुनाव करवाना पड़ा।
@---साप्ताहिक ‘रविवार’ः26 अगस्त 1979@
राजीव गांधी ने बाहर से समर्थन देकर चंद्र शेखर की सरकार बनवाई।
पर जब चंद्र शेखर ने बोफर्स तोप सौदा घोटाले से संबंधित मुकदमे को रफा -दफा करने से इनकार कर दिया तो राजीव गांधी ने चंद्र शेखर की सरकार गिरा दी।
नतीजतन समय से पहले लोक सभा को चुनाव करवाना पड़ा।
--@इंडिया टूडे -हिन्दी-28 फरवरी 1991 @
इन दोनोें अवसरों पर कांग्रेस ने कहा था कि गैर कांग्रेसी सरकारों ने राजनीतिक बदले की भावना से केस दायर किए गए थे।
इन दिनों सोनिया-राहुल-राॅबर्ट वाड्रा सहित अनेक कांग्रेसियों पर केस चल रहे हैं।इन मामलों में कांग्रेस एक बार फिर कह रही है कि राजनीतिक बदले की भावना में आकर केस किए गए हैं।
मान लीजिए कि 2019 के लोक सभा चुनाव के बाद गैर -राजग दलों की सरकार बन जाए।
फेडरल फं्रट के नेताओं के मौजूदा रुख को देख कर तो लगता है कि वे किसी कांग्रेसी को प्रधान मंत्री नहीं बनने देंगे।
फिर क्या होगा ?
‘बदले की भावना से शुरू किए गए मुकदमों’ की वापसी का जोरदार प्रयास होगा।
फिर क्या होगा ? क्या 1979 और 1991 दुहराया जाएगा ?
पता नहीं !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें