आज के दैनिक जागरण -पटना-में अरविंद शर्मा की एक बहुत अच्छी रपट है।
यह आंकड़ा मुझे नहीं मालूम था।
कहां कितना स्थानीय कोटा
----------------
तमिल नाडु--90 प्रतिशत
आंध्र प्रदेश-90 प्रतिशत
तेलांगना-90 प्रतिशत
झारखंड- 85 प्रतिशत
पश्चिम बंगाल--80 प्रतिशत
मध्य प्रदेश-75 प्रतिशत
छत्तीस गढ़-75 प्रतिशत
-----------
बिहार--कोई स्थानीय कोटा नहीं।
अरविंद ने यह भी लिखा है कि बिहार लोक सेवा आयोग
की हाल की अध्यापक भर्ती परीक्षा में प्रतिभा को तरजीह दी गयी।कई विषयों में बिहार के अभ्यर्थियों की तुलना में दूसरे प्रदेश के लोगों ने अधिक नौकरियां ले लीं।
अंग्रेजी विषय में तो 80 प्रतिशत प्रतियोगी केरल के सफल हुए।
आदि आदि ............।’
आजादी के तत्काल बाद बाहर से अनेक नामी विद्वान प्राध्यापकों को बुलाकर पटना विश्व विद्यालय में तैनात किया गया था।
आज भी बिहार की प्रतिभाओं को बाहर जहां
भी मौका मिलता है, वे अपना लोहा मनवा ही रहे हैं।
पर जिन क्षेत्रों में बिहार में प्रतिभा की कमी है,वहां बाहर से भी लोग आएं तो उसमें क्या हर्ज है ?
हाल में बिहार के एक विश्व विद्यालय के प्रो वी. सी. ने फाइल पर दर्ज अपने नोट में गवर्नर,सचिवालय और रजिस्ट्रार तक की स्पेलिंग गलत लिख दी।
जब प्रो.वी.सी. साहब का यह हाल है तो काॅलेजों के अधिकतर प्राचार्यों और शिक्षकों का क्या होगा ?हालांकि कुछ योग्य भी हैं।
इसी हाल का नतीजा है कि अस्सी प्रतिशत केरल से आए।
कुछ साल पहले बिहार की निचली अदालतों के लिए बहाल न्यायिक पदाधिकारियों की मैंने सूची देखी थी।लगभग 35- 40 प्रतिशत उत्तर प्रदेश के मूल निवासी थे।ऐसा इसलिए था क्योंकि बिहार के अधिकतर लाॅ कालेजों में पढ़ाई ही नहीं होती।उत्तर प्रदेश में स्थिति बेहतर है।कुछ अन्य मामलों में बिहार के उम्मीदवार बेहतर हैं जिन्हें यू.पी.या अन्य राज्यों को स्वीकार करना चाहिए।
जहां व्यापमं घोटाला हो रहा हो, वहां क्या हाल होगा, मुख्य मंत्री कमलनाथ जी जरा पहले पता लगा लें।
वहां भी बाहर से प्रतिभाएं लाने की जरूरत हो सकती है।
उस जरूरत को समझिए।उससे आपके ही लोगों का भला
होगा।
राजनीति बाद में करते रहिएगा।
बिहार की शिक्षा का जो हाल है,वह सब जानते हैं।
यहां तो बाहरी -भीतरी का हंगामा करने के बदले पहले
योग्य शिक्षकों को कहीं से भी लाकर महत्वपूर्ण पदों पर तैनात करने की जरूरत है।
बिहार के अपने योग्य शिक्षकों को महत्वपूर्ण जगहों पर लगाइए।अयोग्य को गैर शैक्षणिक कामों में लगाइए।
इस तरह अगली पीढियों को बर्बाद होने से बचाइए।
शिक्षा अच्छी होगी तभी अन्य क्षेत्रों में काम करने के लिए योग्य व्यक्ति उपलब्ध होंगे।
यह आंकड़ा मुझे नहीं मालूम था।
कहां कितना स्थानीय कोटा
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तमिल नाडु--90 प्रतिशत
आंध्र प्रदेश-90 प्रतिशत
तेलांगना-90 प्रतिशत
झारखंड- 85 प्रतिशत
पश्चिम बंगाल--80 प्रतिशत
मध्य प्रदेश-75 प्रतिशत
छत्तीस गढ़-75 प्रतिशत
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बिहार--कोई स्थानीय कोटा नहीं।
अरविंद ने यह भी लिखा है कि बिहार लोक सेवा आयोग
की हाल की अध्यापक भर्ती परीक्षा में प्रतिभा को तरजीह दी गयी।कई विषयों में बिहार के अभ्यर्थियों की तुलना में दूसरे प्रदेश के लोगों ने अधिक नौकरियां ले लीं।
अंग्रेजी विषय में तो 80 प्रतिशत प्रतियोगी केरल के सफल हुए।
आदि आदि ............।’
आजादी के तत्काल बाद बाहर से अनेक नामी विद्वान प्राध्यापकों को बुलाकर पटना विश्व विद्यालय में तैनात किया गया था।
आज भी बिहार की प्रतिभाओं को बाहर जहां
भी मौका मिलता है, वे अपना लोहा मनवा ही रहे हैं।
पर जिन क्षेत्रों में बिहार में प्रतिभा की कमी है,वहां बाहर से भी लोग आएं तो उसमें क्या हर्ज है ?
हाल में बिहार के एक विश्व विद्यालय के प्रो वी. सी. ने फाइल पर दर्ज अपने नोट में गवर्नर,सचिवालय और रजिस्ट्रार तक की स्पेलिंग गलत लिख दी।
जब प्रो.वी.सी. साहब का यह हाल है तो काॅलेजों के अधिकतर प्राचार्यों और शिक्षकों का क्या होगा ?हालांकि कुछ योग्य भी हैं।
इसी हाल का नतीजा है कि अस्सी प्रतिशत केरल से आए।
कुछ साल पहले बिहार की निचली अदालतों के लिए बहाल न्यायिक पदाधिकारियों की मैंने सूची देखी थी।लगभग 35- 40 प्रतिशत उत्तर प्रदेश के मूल निवासी थे।ऐसा इसलिए था क्योंकि बिहार के अधिकतर लाॅ कालेजों में पढ़ाई ही नहीं होती।उत्तर प्रदेश में स्थिति बेहतर है।कुछ अन्य मामलों में बिहार के उम्मीदवार बेहतर हैं जिन्हें यू.पी.या अन्य राज्यों को स्वीकार करना चाहिए।
जहां व्यापमं घोटाला हो रहा हो, वहां क्या हाल होगा, मुख्य मंत्री कमलनाथ जी जरा पहले पता लगा लें।
वहां भी बाहर से प्रतिभाएं लाने की जरूरत हो सकती है।
उस जरूरत को समझिए।उससे आपके ही लोगों का भला
होगा।
राजनीति बाद में करते रहिएगा।
बिहार की शिक्षा का जो हाल है,वह सब जानते हैं।
यहां तो बाहरी -भीतरी का हंगामा करने के बदले पहले
योग्य शिक्षकों को कहीं से भी लाकर महत्वपूर्ण पदों पर तैनात करने की जरूरत है।
बिहार के अपने योग्य शिक्षकों को महत्वपूर्ण जगहों पर लगाइए।अयोग्य को गैर शैक्षणिक कामों में लगाइए।
इस तरह अगली पीढियों को बर्बाद होने से बचाइए।
शिक्षा अच्छी होगी तभी अन्य क्षेत्रों में काम करने के लिए योग्य व्यक्ति उपलब्ध होंगे।
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