इस इलाके में बसने से पहले से ही मुझे खगौल के बारे में
जानने की रूचि रहती थी।
खगौल की जो खबरें अखबारों में छपती रही हैं,उनमें अक्सर नाटक आयोजित किए जाने की खबरें मैं देखता था।
सामाजिक सरोकार वाले नाटक होते थे।मुझे लगता है कि नाटक की खबरें अन्य किसी स्थान से अधिक खगौल से रहती हैं।नाटकों के प्रभावकारी होने पर ही ऐसा हो सकता है।
मुझे यह जान कर खुशी होती थी कि इतनी छोटी जगह में इतना अच्छा सामाजिक काम !
सोचा था कि वहां बसने पर किसी से पूछूंगा कि इस अद्भुत काम के पीछे कौन लोग हैं।
खगौल के पास के कोरजी गांव में हाल में बस गया। उन्हें मैं क्या खोजता ,उन्होंने ही मुझे खोज लिया।
वे हैं नवाब आलम संबंधित नाट्य संस्था ‘सूत्रधार’ के महासचिव,अभिनेता,संस्कृतिकर्मी और निदेशक।
अब तक तो उनसे मेरी सिर्फ फोन से बातचीत हुई है।पर मैं हिन्दी के उनके शुद्ध उच्चारण से भी प्रभावित हुआ।शालीन व्यक्ति लगे।
मैं कल्पना कर सकता हूं कि उनके सहकर्मी भी उनके ही जैसे होंगे।
10 से 12 जनवरी तक ‘सूत्रधार’ द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय नाट्य महोत्सव के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं !
जानने की रूचि रहती थी।
खगौल की जो खबरें अखबारों में छपती रही हैं,उनमें अक्सर नाटक आयोजित किए जाने की खबरें मैं देखता था।
सामाजिक सरोकार वाले नाटक होते थे।मुझे लगता है कि नाटक की खबरें अन्य किसी स्थान से अधिक खगौल से रहती हैं।नाटकों के प्रभावकारी होने पर ही ऐसा हो सकता है।
मुझे यह जान कर खुशी होती थी कि इतनी छोटी जगह में इतना अच्छा सामाजिक काम !
सोचा था कि वहां बसने पर किसी से पूछूंगा कि इस अद्भुत काम के पीछे कौन लोग हैं।
खगौल के पास के कोरजी गांव में हाल में बस गया। उन्हें मैं क्या खोजता ,उन्होंने ही मुझे खोज लिया।
वे हैं नवाब आलम संबंधित नाट्य संस्था ‘सूत्रधार’ के महासचिव,अभिनेता,संस्कृतिकर्मी और निदेशक।
अब तक तो उनसे मेरी सिर्फ फोन से बातचीत हुई है।पर मैं हिन्दी के उनके शुद्ध उच्चारण से भी प्रभावित हुआ।शालीन व्यक्ति लगे।
मैं कल्पना कर सकता हूं कि उनके सहकर्मी भी उनके ही जैसे होंगे।
10 से 12 जनवरी तक ‘सूत्रधार’ द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय नाट्य महोत्सव के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें