गुरुवार, 27 दिसंबर 2018

हे टी.वी.के बहसबाजो !


बगदादी नीत आई.एस.आई.एस. प्रेरित आतंकवादी गिरोहों के भारतीय ठिकानों पर एन.आई.ए. ने कल छापे मारे। हथियार व अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गयी। यह भी पता चला कि वे व्हाटसेप व इस तरह के आधुनिक साधनों का भी इस्तेमाल करते हैं। विदेश शक्ति से जुड़े हुए हैं।

कम्प्यूटर निगरानी के लिए हाल के केंद्र सरकार के निदेश का विरोध करने वाले लोग इस पर एक बार फिर सोचेंगे ? पता नहीं। लगता तो नहीं। बगदादी के स्थानीय चेलों का इरादा इस देश को दहलाने का था और है।

इस छापेमारी-गिरफ्तारी पर कल टी.वी. चैनलों पर गर्मागर्म बहसें हुईं। उन बहसों में कुछ लोगों के तर्कों को सुनकर मध्य युग के इस देश के इतिहास की याद आ गई।

आई.एस.आई.एस.का प्रकारातंर से बचाव करने वाले लोगों को यह भी खबर है कि उस दुर्दांत संगठन ने वरीय ओवैसी को भी जान से मार देने की धमकी दे रखी है। यानी ओवैसी बंधुओं का अतिवाद भी उन्हें हल्का लगता है। वे हथियारों के बल पर इस देश में कैसा अतिवादी शासन स्थापित करना चाहते हैं ?

बगदादी के ऐसे मानस पुत्रों का बचाव करने वाले लोग खुद के और इस देश के भविष्य के बारे में जरा सोच लें। इस स्थिति का फायदा उठाकर इस देश में कोई तानाशाह पैदा हो जाए तो क्या होगा ? 

हे टी.वी.के बहसबाजो ! वैसी स्थिति मत पैदा करो। 

चीन अपने यहां के ऐसे मामले में पूरी दुनिया को एक राह दिखा भी रहा है।  

भारत एक गंगा -जमुनी संस्कृति वाला देश है। लाखों गांवों में अल्पसंख्यक मुसलमान—हिन्दू भाइयों के साथ शांति से मिलजुल कर रह रहे हैं। शहरों के मुस्लिम बहुल इलाकों में बसने वाले अतिवादियों को चाहिए कि वे उनके सुख—शांति का भी ध्यान रखें।

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