शुक्रवार, 7 दिसंबर 2018

आज के ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में श्याम लाल यादव ने 
लिखा है कि ओ.बी.सी.कोटे के तहत हुए कुल दाखिले और 
मिली सारी नौकरियों में से 97 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ 25 प्रतिशत पिछड़ी जातियों को मिला है।
  रोहिणी आयोग की जांच में यह भी पाया गया है कि  27 प्रतिशत आरक्षण के बावजूद देश की 983 पिछड़ी जातियों का केंद्र सरकार की नौकरियों में शून्य प्रतिनिधित्व है।यही हाल इनका  विश्वविद्यालयों के दाखिले में भी है।
  27 प्रतिशत आरक्षण कोटे में उप वर्गीकरण की सलाह देते हुए रोहिणी आयोग ने मुख्य मंत्रियों से इन आंकड़ों पर राय मांगी है।
  याद रहे कि मन मोहन सिंह के कार्यकाल में ही राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने केंद्र सरकार से उप वर्गीकरण सिफारिश की थी ताकि आरक्षण का लाभ सभी जातियों को समरूप ढंग से मिल सके।
मोदी सरकार ने इस संबंध में आंकड़े तैयार करने और सलाह देने के लिए अक्तूबर 2017 में रोहिणी आयोग का गठन किया था।
जी.रोहिणी दिल्ली हाई कोर्ट की रिटायर मुख्य न्यायाधीश  हैं।
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जातियों की संख्या -- हिस्सेदारी का प्रतिशत
 10          ----   --24.95
38                ----25.04
102               ----25.00
506               ---22.32
994                --2.68
983                --  0
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अब सवाल है कि 2019 के चुनाव से पहले वर्गीकरण का यह काम हो पाएगा ?
कुछ महीने पहले एक बड़े भाजपा नेता ने कहा था कि वर्गीकरण 2019 चुनाव में राजग का ब्रह्मास्त्र  होगा।
उधर रोहिणी आयोग ने अपनी अंतिम रपट मई, 2019 में सरकार को देने का निर्णय किया है। 
@ 7 दिसंबर 2018@ 

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