शुक्रवार, 14 दिसंबर 2018

   मैं एक सामान्य व्यक्ति हूंं।मेरे पास जरूरत से अधिक पैसे भी नहंीं हैं।फिर भी यदि कोई मुझे सर्वाजनिक रूप से चोर कह दे या लिख दे तो मैं उस पर मानहानि का मुकदमा जरूर कर दूंगा।
 पर कल्पना कीजिए कि मैं राजनीति मेंें चला जाऊं ।और चोर न भी बनूं तो भी कोई मुझे चोर कहता रहेगा,फिर भी मैं केस नहीं करूंगा।
क्योंकि इस देश की राजनीति का यही चलन बन गया है।
 शायद इसलिए भी शरीफ व्यक्ति राजनीति में नहीं जाना चाहता।
मेरा मानना है कि समान्यतः किसी भी पेशे में ईमानदारों और बेईमानों का अनुपात लगभग एक ही है।मेरी व्यक्तिगत जानकारी के अनुसार आज की राजनीति में भी ईमानदार लोग मौजूद हैं।किसी जीवित ईमानदार नेता का नाम मैं नहीं ले सकता। नाम लेने के अपने खतरे हैं।
पर जो ईमानदार नेता हाल तक जीवित थे,उनके नाम तो यदाकदा मैं लेता ही रहा हूं।
  इस मामले में मेरी एक  राय  है। यदि कोई नेता सचमुच ईमानदार है और उसे कोई चोर कह रहा है तो  कहने वाले के खिलाफ उसे जरूर केस  करना चाहिए।
अन्यथा, उस नेता के पोते -पर -पोते आज के अखबार पढ़ेंगे तो अपने पूर्वज के बारे में कैसी धारणा बनाएंगे ? नाहक उन्हें चोर मान लेंगे।   

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