शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

  यह जानकर निराशा हुई है कि दाना पुर-दिघवारा 
गंगा पुल अभी नहीं बनेगा।
  खबर है कि सेना से सहमति नहीं मिलने के कारण ऐसा हुआ है।
 दाना पुर में सैनिक छावनी है । यह स्वाभाविक ही है कि वहां किसी तरह के बड़े निर्माण से पहले सेना की राय को सबसे अधिक महत्व दिया जाए।
 दाना पुर-दिघवारा पुल के बारे में पिछले दिनों मुख्य मंत्री नीतीश कुमार की घोषणा के बाद उम्मीद बढ़ी थी।
नीतीश कुमार बिना प्रारंभिक तैयारी के कोई घोषणा नहीं करते।
इसलिए यह  लगा था कि दाना पुर-दिघवारा पुल अब बन कर रहेगा।
 दाना पुर -दिघवारा पुल बन जाने से अपने  पुश्तैनी गांव जाना मेरे लिए  बहुत आसान हो जाता।
दाना पुर से सीधे नदी के रास्ते दिघवारा 12 किलोमीटर पर है।
दिघवारा से मेरा गांव करीब साढ़े तीन किलोमीटर है।
इस पुल के बनने से दिघवारा और आसपास का बड़ा  इलाका  भी पटना महा नगर का हिस्सा बन जाता।एक नया नोयडा !
उससे हमारे जिले का विकास तेज होता।अविभाजित सारण जिला मनीआॅर्डर इकोनामी का जिला रहा है।वहां आबादी अधिक व जमीन कम है।
बेरोजगारी की समस्या अपेक्षाकृत अधिक है।
 यदि केंद्र व राज्य सरकार चाहे तो सेना के एतराज को समाप्त करने का कोई उपाय कर सकती हैं।
यानी दानापुर में प्रस्तावित पुल को एक तरफ से घेर दिया जाए,तो शायद सेना राजी हो जाए।या फिर कोई और उपाय।देखें आगे क्या होता है।
हां,इस बीच इस बात की खुशी जरूर है कि महत्वाकांक्षी पटना रिंग रोड के एलायनमेंट पर जल्दी ही अंतिम मुहर लग जाएगी।
उस एलायनमेंट के लिए गंगा नदी  पर जेपी सेतु के समानांतर एक पुल बनेगा।

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