बुधवार, 19 दिसंबर 2018

ड्रायवर रखने में सावधानी बरतें नेतागण
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पूर्व रेल मंत्री सी.के.जाफर शरीफ के बारे मंे यह कहानी मैंने 
तभी सुनी थी।
पर, मैंने उस पर पूरा विश्वास नहीं किया था।
पर, जब कर्नाटका के पत्रकार मनोहर यडवट्टि ने पाक्षिक पत्रिका ‘यथावत’ के ताजा अंक में वही बात लिख दी तो मुझे लग गया कि अन्य लोगों को भी यह कहानी बतानी चाहिए ।ताकि, कम से कम बड़े नेतागण व महत्वपूर्ण लोग  अपना ड्रायवर रखने में सावधानी बरतें।
 हाल में जाफर शरीफ के  निधन के बाद मनोहर यडवट्टि ने उस किस्से को कुछ इस तरह लिपिबद्ध किया,
  ‘गरीब परिवार में जन्मे और अल्प शिक्षित जाफर शरीफ जवानी के दिनों में कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेता एस.निजलिंगप्पा के संपर्क में आए।उनके निजी सहायक और ड्रायवर के रूप में अपने कैरियर की शुरूआत की।’
@ यह बात उस समय की है जब 
निजलिंगप्पा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।@
‘इस कारण जाफर शरीफ को बड़े नेताओं के बीच होने वाली बातचीत और राजनीतिक योजनाओं आदि के बारे में भी जानकारी रहती थी।
जब कांग्रेस में इंदिरा गांधी के नेतृत्व को लेकर विवाद की शुरूआत हुई ,उस समय निजलिंगप्पा इंदिरा गांधी के खिलाफ हो गए।
एक दिन कार में कहीं जाते वक्त निजलिंगप्पा अपने कुछ अन्य सहयोगियों के साथ इंदिरा गांधी को सबक सिखाने की योजना पर बातचीत कर रहे थे।
इस बातचीत को जाफर शरीफ ने ध्यान से सुना और उसके  तुरंत बाद वे राजधानी दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को सारी बातें विस्तार से बतार्इं।
उससे इंदिरा गांधी को अपने खिलाफ बनाई जा रही सारी योजनाओं की जानकारी मिल गई।
हालांकि इसके लिए जाफर शरीफ को विश्वासघाती तक की संज्ञा दी गयी।
लेकिन इंदिरा गांधी उनकी निष्ठा से काफी प्रभावित हुईं।1969 में कांग्रेस का विभाजन हो गया।
1971 में जब संसदीय चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी ने जाफर शरीफ को कनक पुरा संसदीय क्षेत्र से पार्टी का टिकट दिया।
वह जीते भी।
इंदिरा गांधी ने उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया।
इंदिरा गांधी के रहते उनका कद हर समय ऊंचा बना रहा।’ 







   




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