गुरुवार, 27 दिसंबर 2018

अनेक निजी न्यूज चैनलों के डिबेट शो में ‘......भुकाओ कार्यक्रम’ चलता रहता है।
अनेक श्रोता-दर्शक बद्दुआ करते रहने के बावजूद देखते रहते हैं।कुछ ही अति शालीन लोगों ने देखना छोड़ा है। 
  जो नेता-प्रवक्ता गण इन ‘....कांव कांव-झांव झांव’ कार्यक्रमों में शामिल होते हैं,आने वाले वर्षों में उनमें से ही कुछ लोग संसद -विधान सभाओं के सदस्य बनेंगे।
  उधर संसद की  अध्यक्ष संसद की गरिमा की पुनर्वापसी के लिए कुछ उपाय कर रही हैं।
  पर यदि डिबेट  वाला झांव झांव ब्रिगेड अपनी इसी उदंड आदत के साथ संसद में चला जाएगा तो पीठासीन पदाधिकारी गण इनसे  भी परेशान रहेंगे।
अभी तो ये लोग एंकर की नहीं सुनते,बाद में वे स्पीकर की नहीं सुनेंगे।
   ऐसे में एक उपाय हो सकता हे।
संसद व विधायिकाओं के पीठासीन पदाधिकारीगण अपने यहां के चैनलों के लोगों को अनौपचारिक रूप से बुलाएं और शालीन लोकतंत्र के नाम पर उनसे आग्रह करें कि इन नेताओं व प्रवक्ताओं को शालीनता बरतने के लिए आप  बाध्य करें ताकि लोकतंत्र शर्मसार न हो।सिटिंग अरेजमेंट बदल कर व जरूरत पड़ते ही माइक डाउन कर उन्हें आसानी से पटरी पर लाया जा सकता है।
  साथ ही, आदतन उदंडियों को वे कभी न बुलाएं।
 याद रहे कि हाल ही में एक चैनल के डिबेट शो में भाजपा बनाम सपा प्रवक्ता ऐसे उलझे कि पुलिस बुलानी पड़ी।
  इसके बाद भी अधिकतर चैनलों में झांव झांव- कांव कांव  जारी है। 
हालांकि कुछ चैनलांे के इस बेसुरे राग व भीषण शोरगुल के बीच कुछ चैनलों ने बहस-चर्चा  की गरिमा बनाए रखी है।वे धन्यवाद के पात्र हैं।

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