सोमवार, 31 दिसंबर 2018

एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपने एक पत्रकार मित्र को यह लिख भेजा है,
‘हालांकि हम दोनों समाजवादी पृष्ठभूमि वाले  हैं,पर हमारे पुराने मित्र नाराज या नाखुश होते हैं जब हम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की बीच -बीच में प्रशंसा अथवा समर्थन करते हैं।
उनको मेरा एक ही जवाब होता है कि हम यह सिर्फ मेरिट के आधार पर करते हैं।अगर सरकार कुछ अच्छा करती है तो कुछ प्रशंसा और गलत फैसलों की आलोचना भी करते हैं।आप भी मुझसे इस पर सहमत होंगे।’
  यह पढ़कर मुझे राजेंद्र माथुर की याद आ गयी।
उन्होंने मुझसे 1983 में कहा था कि ‘आप इंदिरा गांधी के खिलाफ जितनी भी कड़ी खबर लाइए,मैं उसे छापूंगा।पर इंदिरा जी में कई अच्छाइयां भी हैं।मैं उन्हें भी छापूंगा।’
मेरा मानना है कि पत्रकारिता की दृष्टि से माथुर साहब की इस बात को आदर्श माना जाना चाहिए।
मेरी राय में पत्रकार को चाहिए कि वह मोदी के  पक्ष या विपक्ष में जाने वाली हर तरह की सूचनाएं आम लोगों तक पहुंचाए ।वैसे इस बात का ध्यान रहे कि जो कुछ आप लिख रहे हैं,उसके सबूत आपके पास होने चाहिए।
आम लोग सही समय पर खुद सही-गलत का निर्णय कर लेंगे।
  हर पत्रकार भी एक मतदाता होता है।वह भी वोट देता है।मेरी राय में किसी भी मतदाता को यह देखना चाहिए कि देश व आम लोगों के सामने फिलहाल सबसे बड़ी दो या तीन भीषण समस्याएं कौन -कौन सी हैं।उन समस्याओं के हल में कौन सी पार्टी सबसे अधिक कारगर साबित हो सकती है ।वे उसे ही वोट दे।

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