नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी में इन दिनों मात्र लगभग 28 प्रतिशत परीक्षार्थी ही पास कर पाते हैं।यह यूनिवर्सिटी कदाचार के समुद्र के बीच में कदाचारमुक्त परीक्षाओं का टापू है।
साठ के दशक में जब बोर्ड व यूनिवर्सिटी की सामान्य परीक्षाओं में भी कदाचारमुक्त परीक्षा होती थी,तब भी लगभग इतना ही रिजल्ट होता था।
आज सामान्य संस्थानों की परीक्षाओं में जहां भी 28-30 प्रतिशत से अधिक रिजल्ट हो,वहां के बारे में नीति निर्धारकों को यह मान लेना चाहिए कि कदाचार हुए थे,चाहे आधिकारिक रिपोर्ट जैसी भी आई हो।
फिर उन्हें उस पर जो करना हो, सो करें।यानी कदाचार जारी रखना है या रोकना है।
साठ के दशक में जब बोर्ड व यूनिवर्सिटी की सामान्य परीक्षाओं में भी कदाचारमुक्त परीक्षा होती थी,तब भी लगभग इतना ही रिजल्ट होता था।
आज सामान्य संस्थानों की परीक्षाओं में जहां भी 28-30 प्रतिशत से अधिक रिजल्ट हो,वहां के बारे में नीति निर्धारकों को यह मान लेना चाहिए कि कदाचार हुए थे,चाहे आधिकारिक रिपोर्ट जैसी भी आई हो।
फिर उन्हें उस पर जो करना हो, सो करें।यानी कदाचार जारी रखना है या रोकना है।
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