सोमवार, 10 दिसंबर 2018

9 दिसंबर, 2018 के दैनिक भास्कर-पटना- में सरकारी जल मीनारों की दुर्दशा पर मधुरेश की अच्छी रपट है।
 गांवों में वर्षों से जल मीनारें बिन पानी यूं ही खड़ी हैं।
आजादी के इतने साल बाद भी गांवों में शुद्ध जल नहीं और शहरों में आक्सीजन की होती जा रही कमी।
इस देश में सड़कों के गड्ढों के कारण पांच साल में 15 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
 आखिर क्या करती हैं सरकारें ?
सरकार के बारे में सुनता रहा हूं-
12 बजे लेट नहीं।
3 बजे भेंट नहीं।
आॅफिस आने के लिए वेतन।
काम के लिए शुकराना और नजराना।
एक्सप्रेस की खबर के अनुसार केंद्र सरकार के 200 
संयुक्त सचिव तो समय पर आॅफिस आते हैं।उन्हें हाल में मोदी सरकार ने बहाल किया है।
वे नाॅन आई.ए.एस. काॅडर के हैं।
आई.ए.एस.संयुक्त सचिव के आॅफिस आने का समय तय नहीं है।
सत्ताधारी नेताओं के बारे में तो बहुत कुछ छपता रहता है,उन पर क्या लिखूं ?
अरे सत्तासीनो , जल और वायु तो हमसे मत छीनो !  
  

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